Vishvambhar ‘Manav’

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विश्‍वम्‍भर मानव

विश्‍वम्‍भर ‘मानव’ का जन्‍म 2 नवम्‍बर, 1912 को बुलन्‍दशहर ज़‍िले के डिवाई नामक क़स्‍बे में हुआ था। सन् 1938 में उन्‍होंने आगरा विश्‍वविद्यालय से हिन्‍दी से एम.ए. किया और प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम उत्‍तीर्ण हुए।

उनके जीवन का अधिकांश समय अध्‍यापन में व्‍य‍तीत हुआ। पन्‍द्रह वर्ष उन्‍होंने क्‍वींस कॉलेज, काशी; आगरा कॉलेज, आगरा; गोकुलदास गर्ल्‍स कॉलेज, मुरादाबाद तथा इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद जैसी प्रसिद्ध संस्‍थाओं में हिन्‍दी प्रवक्‍ता के रूप में कार्य किया। दस वर्ष आकाशवाणी के इलाहाबाद-लखनऊ केन्‍द्रों से सम्‍बद्ध रहे। इसके अतिरिक्‍त हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन, लखनऊ सचिवालय, किताब महल, इलाहाबाद तथा एक हिन्‍दी साप्‍ताहिक में भी विविध रूपों में काम किया।

उनकी लगभग पैंतीस पुस्‍तकें प्रकाशित हैं, जिनमें आलोचना, उपन्‍यास, नाटक, कविता, डायरी, गद्यगीत आदि सम्‍म‍िलित हैं। उनके युग के चार प्रसिद्ध छायावादी कवियों—प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी पर स्‍वतंत्र समीक्षा ग्रन्‍थ लिखनेवाले वे पहले आलोचक थे। उनके ये ग्रन्‍थ समय-समय पर उत्‍तर-दक्षिण के बारह विश्‍वविद्यालयों में विशेष अध्‍ययन के लिए स्‍वीकृत रहे।

1973 में नौकरी से अवकाश ग्रहण करने के उपरान्‍त उनका जीवन केवल स्‍वतंत्र लेखन को समर्पित रहा। 1980 में उनका देहावसान हुआ। 

 

 

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