Virendra Kumar Baranwal

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वीरेन्द्र कुमार बरनवाल

जन्म : 21 अगस्त, 1941; फूलपुर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)।

माँ गायत्री देवी; पिता दयाराम बरनवाल—स्वतंत्रता सेनानी, भारत छोड़ो आन्दोलन (1942) के दौरान जेल-यात्रा, समाजवादी आन्दोलन से गहरा जुड़ाव।

शिक्षा : बी.ए. (ऑनर्स), एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; एल-एल.बी., भोपाल विश्वविद्यालय।

कुछ वर्ष अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्यापन, सन् 1969 से 2005 तक भारतीय राजस्व सेवा (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) में, मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पानी के छींटे सूरज के चेहरे पर’ (नाइज़ीरियाई कविताओं के अनुवाद), वोले शोयिंका की कविताएँ (नोबेल पुरस्कार सम्मानित पहले अश्वेत रचनाकार की कविताओं के अनुवाद), ‘पहल’ पुस्तकमाला के अन्तर्गत ‘रक्त में यात्रा’ (रेड इंडियन कविताओं के अनुवाद) एवं ‘वो पहला नाख़ुदा हिन्दोस्तानी के सफ़ीने का—वली दक्खिनी’ तथा ‘तनाव’ पुस्तकमाला के अन्तर्गत ‘माची तवारा की कविताएँ’ (युवा जापानी कवयित्री की तन्काओं के अनुवाद)—सभी पुस्तकें/पुस्तिकाएँ विस्तृत परिचयात्मक भूमिका के साथ।

‘जिन्ना : एक पुनर्दृष्टि’ (जिन्ना तथा उनके महत्त्वपूर्ण समकालीनों पर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में विमर्श), ‘हिन्द स्वराज : नव सभ्यता-विमर्श’, ‘रतनबाई जिन्ना’ (नाटक—प्रकाश्य) तीनों राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से।

हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, संस्कृत तथा तुलनात्मक साहित्य के साथ हाशिये पर पड़े साहित्य, ख़ासकर अश्वेत और रेड इंडियन साहित्य एवं भारतीय पुनर्जागरण तथा स्वतंत्रता-संग्राम के विमर्श में गहरी रुचि।

पुरस्कार : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (आगरा) के ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’ से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित।

निधन : 12 जून, 2020

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