Vinamra Sen Singh

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विनम्र सेन सिंह

कवि एवं समीक्षक डॉ. विनम्र सेन सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में 15 नवम्बर 1988 को एक साहित्यिक परिवार में हुआ। आरम्भिक शिक्षा आजमगढ़ से ही प्राप्त कर स्नातक हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से शोध की उपाधि हेतु विवेकी राय के कथेतर गद्य में आंचलिकता और लोकजीवन' पर मौलिक कार्य किया। वर्ष 2016 से 2018 तक बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया एवं वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

'मार्क्सवादी आलोचना का विकास' पहली पुस्तक है। इसके अतिरिक्त 'अपना भारत देश महान', 'विवेकी राय: आंचलिकता और लोक जीवन, आदि इनकी मौलिक पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त रामचरित उपाध्याय रचनावली के सह-सम्पादक के रूप में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। 'काली मिट्टी पर पारे की रेखा' जैसी चर्चित पुस्तक के सह-सम्पादक के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। 'श्यामल घट: अमृत कलश' सहित अन्य कई पुस्तकों का सम्पादन किया। पत्र-पत्रिकाओं में शोध आलेख, कविताएँ, कहानियाँ एवं ललित निबन्ध प्रकाशित होते रहते हैं।

प्रयागराज में 'नया परिमल' नामक साहित्यिक संस्था की स्थापना कर उसके सचिव के दायित्वों का निर्वहन करते हुए साहित्य के निर्माण में अपना योगदान दे रहे है।

सम्पर्क : 6-एफ, बैंक रोड, विश्वविद्यालय शिक्षक आवास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज- 211002

ई-मेल : vinamra1234@gmail.com

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