Vijay Prakash

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विजय प्रकाश

भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। सम्प्रति वे बिहार सरकार के अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग तथा सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में वे राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग एवं कल्याण विभाग में वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं। वे सृजनशीलता के क्षेत्र में अपने शोध के लिए विख्यात रहे हैं तथा एक नवाचारी शिक्षण पद्धति ‘सृजनवादी शिक्षण’ के प्रणेता के रूप में भी जाने जाते हैं। इन्होंने बच्चों के सृजनवादी शिक्षण हेतु दर्जनों पुस्तकें एवं शैक्षिक सामग्रियाँ विकसित की हैं। उनका विश्वास है कि इस शिक्षण पद्धति के माध्यम से ही सामाजिक न्याय के साथ विकास का सपना साकार हो सकता है। दलित एवं अभिवंचित वर्ग के अधिकारों की प्राप्ति एवं जनतंत्र के लिए शिक्षा के प्रसार में यह पद्धति एक उपयोगी हथियार सिद्ध हो सकती है।

 

शैलेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव

आप अभिवंचितों के हक़ों की प्राप्ति के लिए पिछले साठ वर्षों से संघर्षरत हैं। आपने भौतिकशास्त्र में विश्वविद्यालय के प्राध्‍यापक की सेवा का पड़ाव पार करने के बाद सामाजिक कार्यकर्त्ता का जीवन अपना लिया है और बिहार एवं झारखंड में शिक्षा, महिला सशक्तीकरण और दलितों तथा आदिवासियों की समस्याओं से जूझते रहे हैं। आपने भौतिकी, ट्रेड यूनियन तथा श्रमिकों के अधिकार, सामाजिक आन्‍दोलनों और शिक्षा की समस्याओं पर काफ़ी लिखा है। बिहार में साक्षरता आन्‍दोलनों की शुरुआत करने में अग्रणी रहे हैं। सम्प्रति अभिवंचितों की शिक्षा, सृजनवाद और जनतंत्र के लिए शिक्षा के शोध एवं अध्‍ययन से जुड़े हैं।

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