Sunder Chand Thakur

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सुन्दर चन्द ठाकुर

जन्म : 11 अगस्त, 1968; उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में।

शिक्षा : 1990 में विज्ञान में ग्रेजुएशन। बाद में मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा भी। 1992 में सेना में कमीशन। मार्च 1992 से अप्रैल 1997 तक भारतीय सेना में। इस दौरान पन्द्रह महीने के लिए सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र शान्ति सेना के सदस्य के रूप में तैनाती।

उन्होंने अपने साहित्यिक लगाव के चलते ही सेना से ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ली और दिल्ली में टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह में प्रशासनिक पद पर कार्य सँभाला। 2003 में वह प्रशासनिक पद छोड़कर ‘नवभारत टाइम्स’ से जुड़े। 2010 में उनका मुम्बई तबादला जहाँ वह आज भी ‘नवभारत टाइम्स’, मुम्बई के स्थानीय सम्पादक हैं।

सेना छोड़कर आने के बाद पंकज बिष्ट द्वारा सम्पादित मासिक पत्रिका ‘समयांतर’ से जुड़े, जिसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक विशेषांकों के आधार लेख, समीक्षाएँ लिखने और अनुवाद का काम किया। इस वक़्त तक उनकी कविताएँ सभी प्रमुख साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी थीं। 2001 में उनका पहला कविता-संग्रह ‘किसी रंग की छाया’ प्रकाशित। उनकी कहानियाँ ‘हंस’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘वागर्थ’ आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। ‘हंस’ में उनका लेख ‘धर्म, सेक्स और नैतिकता’ चर्चित। 2008 में उन्होंने रूस के चर्चित कवि येव्गिनी येव्तुशेंको की जीवनी का अनुवाद किया, जो ‘एक अजब दास्ताँ’ के नाम से प्रकाशित हुआ। 2009 में उनका दूसरा संग्रह ‘एक दुनिया है असंख्य’ आया। उनकी कविताओं के जर्मन, बांग्ला, मराठी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में अनुवाद हुए हैं।

सम्मान : 2001 में भारतीय भाषा परिषद का ‘युवा पुरस्कार’, 2003 में ‘भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ और ‘इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान’।

क्रिकेट में विशेष रुचि रखनेवाले सुन्दर चन्द ठाकुर ‘नवभारत टाइम्स’ के लिए पिछले कई वर्षों से ‘दूसरा पहलू’ शीर्षक से चर्चित कॉलम लिख रहे हैं। मुम्बई में उनका शहर के जीवन पर आधारित कॉलम ‘मुम्बई मेरी जान’ भी लोकप्रिय है।

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