Ramvriksh Benipuri

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रामवृक्ष बेनीपुरी

जन्म : 23 दिसम्बर, 1899, बेनीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार)। साधारण किसान परिवार। बचपन में ही माता-पिता का निधन। मैट्रिक की पढ़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर गए। उन्हीं दिनों 1920 के असहयोग आन्दोलन में स्कूली शिक्षा छोड़ दी। साहित्य सम्मेलन से विशारद। स्वाधीनता सेनानी के रूप में लगभग नौ साल जेल में रहे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। दिसम्बर 1959 में पक्षाघात। लम्बी बीमारी। अन्ततः 6 सितम्बर, 1968 को निधन।

सम्पादित पत्र : ‘तरुण भारत’, ‘किसान मित्र’, ‘गोलमाल’, ‘बालक’, ‘युवक’, ‘क़ैदी’, ‘लोक-संग्रह’, ‘कर्मवीर’, ‘योगी’, ‘जनता’, ‘तूफ़ान’, ‘हिमालय’, ‘जनवाणी’, ‘चुन्नू-मुन्नू’ तथा ‘नई धारा’।

प्रमुख कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘चिता के फूल’। शब्दचित्र-संग्रह : ‘लाल तारा’, ‘माटी की मूरतें’, ‘गेहूँ और गुलाब’। उपन्यास—‘पतितों के देश में’, ‘क़ैदी की पत्नी’। ललित-निबन्ध—‘सतरंगा इन्द्रधनुष’। स्मृति-चित्र—‘गांधीनामा’। कविता-संग्रह—‘नया आदमी’। नाटक—‘अम्बपाली’, ‘सीता की माँ’, ‘संघमित्रा’, ‘अमर ज्योति’, ‘तथागत’, ‘सिंहल विजय’, ‘शकुंतला’, ‘रामराज्य’, ‘नेत्रदान’, ‘गाँव का देवता’, ‘नया ‘समाज’ और ‘विजेता’। निबन्ध—‘हवा पर’, ‘नई नारी’, ‘वंदे वाणी विनायकौ’, ‘अत्र तत्र’। आत्मकथात्मक संस्मरण—‘मुझे याद है’, ‘ज़ंजीरें और दीवारें’, ‘कुछ मैं कुछ वे’। यात्रा साहित्य—‘पैरों में पंख बाँधकर’, ‘उड़ते चलो उड़ते चलो’। जीवनी—‘शिवाजी’, ‘विद्यापति’, ‘लंगट सिंह’, ‘गुरु गोविंद सिंह’, ‘रोज लग्ज़ेम्बर्ग’, ‘जयप्रकाश’, ‘कार्ल मार्क्स’। राजनीति—‘लाल चीन’, ‘लाल रूस’, ‘रूसी क्रान्ति’।

इसके अलावा बाल-साहित्य की दर्जनों पुस्तकें तथा ‘विद्यापति पदावली’ और ‘बिहारी सतसई’ की टीका।

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