Ram Nagarkar

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राम नगरकर

राम नगरकर, नीलू फुले और दादा कोंडके। तीनों की मित्रमंडली। हँसाना इस मंडली का धन्धा। जनता में ‘नक्काल’ नाम से विख्यात। नाम-भर लेने से जनता ख़ुश। तमाशा (लोकनाट्य) से थिएटर और सिनेमा में गए। राम तीनों में सबसे छोटे, फिर भी उन्होंने यह चमत्कार कर दिखाया। अपने जीवन के अनुभवों पर यह पुस्तक लिखी। नाई जाति में जन्म लेनेवाले राम नगरकर इस पुस्तक में गहरे विनोद के साथ हमारे जाति-भेदी समाज का ख़ाका खींचते हैं।

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