Rajendra Chadrakant Ray

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राजेंद्र चंद्रकांत राय

जन्म : 5 नवम्बर, 1953; जबलपुर (म.प्र.)।
शिक्षा : रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर उपाधि, बी.एड.। राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा नेट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल डेवलपमेंट, इग्नू, दिल्ली।
अध्यापन के क्षेत्र में आजीविका की शुरुआत। ‘परिक्रमा’ पर्यावरण शिक्षा संस्थान के निदेशक के रूप में सक्रिय रहे। राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबन्धन मिशन मध्यप्रदेश शासन के परियोजना अधिकारी के रूप में 1997-2003 तक वाटरशेड प्रबन्धन का सफल क्रियान्वयन।
आकाशवाणी, जबलपुर से पर्यावरण रेडियो पत्रिका ‘ताकि बची रहे हरियाली’ का 1992 से 1999 तक सम्पादन। ‘कृषि परिक्रमा कार्यक्रम’ का संयोजन तथा आकाशवाणी, जबलपुर के लिए ही औषधीय फ़सलों की कृषि विधि पर आधारित ‘उत्तम : स्वास्थ्य’ कार्यक्रम हेतु 13 एपिसोड का स्क्रिप्ट-लेखन। नाटक : ‘सहस्रबाहु’ का प्रसारण, ‘त्रिपुरी की इतिहास गाथा’ शीर्षक के 13 एपिसोड का स्क्रिप्ट-लेखन।
‘नवभारत’ तथा ‘नवभास्कर’ समाचार-पत्रों में साप्ताहिक स्तम्भ-लेखन। अनेक नाटकों, नुक्कड़ नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली की जूनियर फ़ेलोशिप—1992 के अन्तर्गत उपन्यास-लेखन।
प्रमुख कृतियाँ : ‘इतिहास के झरोखे से’, ‘कल्चुरि राजवंश का इतिहास’, ‘कामकंदला’ (उपन्यास); ‘बेगम बिन बादशाह’ (कहानी-संग्रह); ‘दिन फेरें घूरे के’, ‘बिन बुलाए मेहमान’, ‘क्योंकि मनुष्य एक विवेकवान प्राणी है’, ‘आओ पकड़ें टोंटी चोर’, ‘तरला-तरला तितली आई’, ‘काले मेघा पानी दे’, ‘चलो करें वन का प्रबन्धन’ (नुक्कड़ नाटक) तथा ‘सामान्य पर्यावरण ज्ञान’, ‘पेड़ों ने पहने कपड़े हरे’ (पर्यावरण गीत) आदि।
कुछ कहानियों का तमिल तथा तेलुगू भाषा में अनुवाद।

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