Miyazawa Kenji

0 Books

मियाजावा केन्जी

जन्म : सन् 1896 में इवाते प्रान्त के हानामाकी शहर में हुआ।

मियाजाना केन्जी हमेशा एक छोटी-सी डायरी, एक पतले धागे से बाँध, गर्दन से लटकाए रहते थे। सफ़र हो या सैर-सपाटा, उनकी निगाहें कुछ ऐसा ढूँढ़ ही लेतीं जिसे वह फ़ौरन अपनी डायरी में लिख डालते, परन्तु इन डायरियों को सँभालकर रखना इनकी आदत न थी। वह हमेशा इन्हें फाड़कर फेंक देते थे। इनके मरने के पश्चात् एक डायरी, संयोग से हाथ लग ही गई जिसमें एक कविता पढ़ने को मिली।

‘आमे नी मो माकेजु, काजे नी नो माकेजु...’ (‘चाहे बारिश हो या तूफ़ान, मैं हिम्मत न हारूँगा...’)।

इन्हें प्रकृति से बड़ा प्यार था। इसलिए ये हमेशा पहाड़ों, जंगलों, गाँवों, खेत-खलिहानों में घूमते रहते।

सन् 1921 में हानामाकी कृषि विद्यालय में शिक्षक की नौकरी मिली। 1924 में इन्होंने ‘हारु तो शुरा’ कविता-संग्रह एवं ‘च्यूमोन नो ओइ र् योरितेन’ (‘अनन्त फ़रमाइशों का भोजनालय’) को निजी ख़र्च से प्रकाशित किया।

इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘गिन्गातेत्सुदो नो योरू’ (‘आकाश गंगा लाइन की रात’, 1931-32), ‘सेरो हिकी नो गोश’ (‘वायलिन बजाता गोश’, 1931-32)

सन् 1914 से बौद्धधर्म के निचिरेन समुदाय ‘म्योहो-रेंगेइक्यो’ के प्रति इनकी रुचि बढ़ती गई। इसीलिए इनकी रचनाओं में भी बौद्धधर्म की झलकियाँ देखने को मिलती हैं।

निधन : सन् 1933

All Miyazawa Kenji Books
Not Book Found
All Right Reserved © 2025 indiaread.in