Mirza Rafi 'Sauda'

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मिर्ज़ा रफ़ी ‘सौदा

नाम : मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी।

जन्म : देहली, हिजरी 1125 (1713 ई.) में। कुछ तज्‍़करों के अनुसार 1712 ई. में।

जीवनवृत्ति : पहले सुलैमान कुली ख़ान 'वदाद' के और फिर अपने ज़माने के मशहूर शायर शाह 'हातिम' के शागिर्द। ख़ुद 'सौदा' के शागिर्दों में सम्राट शाह आलम भी शामिल थे। अब्दाली और मराठों की ग़ारतगरी के बाद तक़रीबन साठ की उम्र में देहली छोड़ी। कुछ साल फ़र्रुख़ाबाद के नवाब अहमद ख़ान के मुलाज़िम और उस्ताद रहे और नवाब की मृत्यु के बाद फ़ैज़ाबाद चले गए जो तब अवध की राजधानी था। नवाब शुजाउद्दौला के मुलाज़िम हुए। राजधानी जब लखनऊ लाई गई तो ख़ुद भी वहीं आ गए। कुछ समय बाद नवाब से अनबन हुई पर जल्द ही समझौता भी हो गया। नवाब की ओर से ‘मलकुश्शुअरा’ का ख़िताब मिला और छह हज़ार रुपए सालाना का वज़ीफ़ा बाँधा गया।

प्रकाशन : ग़ज़ल, मर्सिया, क़सीदा, हजो, तज़मीन आदि बहुत सी विधाओं में काव्य-रचना। एक दीवान फ़ारसी और एक उर्दू में उपलब्ध। एक तज्‍़करा भी लिखा जो अब नहीं मिलता।

निधन : हिजरी 1195 (1781 ई.), लखनऊ में।

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