Kamlesh Jain

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कमलेश जैन

 

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), एल.एल.बी.।

पटना उच्च न्यायालय में 13 मई, 1975 से दीवानी, फ़ौजदारी एवं संवैधानिक मामले की वकालत की शुरुआत। चार जनहित याचिकाएँ दायर कर चुकी हैं। बोका ठाकुर एवं रुदल साहा के मुक़दमों में सफलता प्राप्त की, पर डॉ. सन्ध्या दास के मुक़दमे में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इस मुक़दमे में उन्होंने मुवक्किल के एक विचित्र बीमारी से ग्रसित होकर बिस्तर पर पड़े रहने के कारण उसके स्वेच्छा से अवकाश प्राप्त कर पेंशन आदि की माँग की थी। इस पुस्तक को लिखने की मूल-प्रेरणा यह मुक़दमा ही है।

प्रकाशन : यदा-कदा सामाजिक-क़ानूनी सम्बन्धी लेख पत्र-पत्रिकाओं में। पहली पुस्तक अंग्रेज़ी में ‘ज्यूडिशियरी ऑन ट्रायल’। इसका हिन्दी अनुवाद ‘न्यायपालिका कसौटी पर’ प्रकाशित। ‘एचआईवी/एड्स : शताब्दी का सबसे बड़ा धोखा’ बहुचर्चित कृति।

सम्प्रति : उच्च न्यायालय, पटना में वकालत।

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