
Guy De Maupassant
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गे द मोपासां
जन्म : 5 अगस्त, 1850; दिएप के निकट शैतो द मिरोमेस्निल, फ़्रांस।
फ़्रांस में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आज भी मोपासां को अब तक का सर्वश्रेष्ठ फ़्रांसीसी कथाकार माना जाता है।
फ़्लाबेअर उनकी प्रतिभा पर मुग्ध थे। ज़ोला उनके ज़बर्दस्त प्रशंसक थे। तुर्गनेव और तोलस्तोय ने उनकी रचनाओं की मुक्त कंठ से सराहना की। मोपासां के ये सभी समकालीन वरिष्ठ और महान लेखक इस बात पर सहमत थे कि जीवन की दारुण त्रासदियों, विडम्बनापूर्ण विसंगतियों, आन्तरिक सौन्दर्य और नाटकीय आकस्मिकताओं के चित्रण के मामले में गे द मोपासां एक बेजोड़ कलाकार थे। चेख़व, कुप्रिन, गोर्की और लुनाचार्स्की ने जीवन के यथार्थ पर उनकी अचूक पकड़ की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। मोपासां की अगली पीढ़ी के प्रसिद्ध फ़्रांसीसी लेखक अनातोल फ़्रांस उन्हें अपने देश के सबसे महान और समर्पित क़िस्सागो मानते थे जिनकी सशक्त, सरल और स्वाभाविक भाषा में असली फ़्रांसीसी मिट्टी की ख़ुशबू मौजूद थी। उनके अनुसार, फ़्रांसीसी लोगों के जीवन और मनोविज्ञान पर मोपासां की पकड़ अचूक थी, उनकी वस्तुपरकता और सुस्पष्टता ने कंजूस किसानों, पियक्कड़ नाविकों, भ्रष्ट स्त्रियों, ओछे क्लर्कों के जीवन की आत्मिक रिक्तता, कुरूपता, नीरसता और दु:खों का चित्रण वास्तविकता से भी अधिक वास्तविक रूप में किया। आडम्बरप्रिय बुर्जुआओं के खोखलेपन को उन्होंने निर्ममता से उजागर किया। यह सब कुछ करते हुए उनके प्रहार का लक्ष्य बुर्जुआ सामाजिक ढाँचा होता था और साथ ही उनका अन्तर्निहित आशावाद जीवन के उज्ज्वल पक्षों की, मानवीय सारतत्त्व की कभी भी अनदेखी नहीं करता था।
निधन : 6 जुलाई, 1893