Arun Kumar Tripathi

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अरुण कुमार त्रिपाठी

पत्रकार, लेखक और शिक्षक। 9 अक्टूबर, 1961 को उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले के गाँव में किसान परिवार में जन्म। लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की पढ़ाई करने के बाद एलएलएम में दाख़िला। राजनीतिक आन्दालनों और फिर पत्रकारिता की तरफ़ आकर्षित होने के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर 1988 में दिल्ली के अख़बार ‘जनसत्ता’ से जुड़े। जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस में प्रभाष जोशी, राहुल देव, अच्युतानन्द मिश्र और शेखर गुप्ता के सान्निध्य में चौदह वर्षों तक पत्रकारिता करने के बाद दिल्ली में ही ‘हिन्दुस्तान’ अख़बार में मृणाल पाण्‍डे की टीम के सदस्य बने। वहाँ नौ साल तक काम करने के बाद एसोसिएट एडिटर पद से इस्तीफ़ा।

दिल्ली के ‘आज-समाज’ और फिर आगरा से प्रकाशित ‘कल्पतरु एक्सप्रेस के सम्पादक रहे। सम्प्रति : महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा में प्रोफ़ेसर एडजंक्ट। नब्बे के दशक में कल्याण सिंह और मेधा पाटकर पर मोनोग्राफ़ लिखने के कारण विशेष चर्चा में। 2005 में ‘कट्टरता के दौर में’ शीर्षक से प्रकाशित लेखों का संकलन काफ़ी सराहा गया। राजकिशोर द्वारा प्रकाशित ‘आज के प्रश्न’ शृंखला में लेखन। महाश्वेता देवी के साथ ‘वर्तिका’ पत्रिका का सह-सम्पादन। ‘सिंगुर और नन्दीग्राम से निकले सवाल’, ‘परमाणु करार के ख़तरे’, ‘खाद्य संकट की चुनौती’, ‘अन्ना आन्दोलन और भ्रष्टाचार’, ‘आदिवासी और माओवादी’ जैसे विशेषांक पुस्त‍क की शक्ल में भी प्रकाशित। कुछ चुनिन्दा लेखों का संकलन ‘समाजवाद, लोहिया और धर्मनिरपेक्षता’ शीर्षक से 2015 में प्रकाशित। ‘सामयिक वार्ता’ और ‘युवा संवाद’ जैसी जनान्दोलनों की प्रतिबद्ध पत्रिकाओं के सम्पादक मंडल के सदस्य। 1857 पर विशेष अध्ययन।

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